hindi alok class 10,class 10 hindi alokbhag 2 chapterhindi class 10 class 10 seba hindi question, answer alok bhag 2 class 10 solutions, seba class 10 hindi solutions, class 10 hindi book, class 10 hindi alok bhag 2 chapter 2, ambar bhag 2 hindi book solution class 10,

 आलोक भाग २ 

1

PRODUCED BY  

 ASSAMESEMEDIUMBLOGSPOT.COM



नीव की इट 

1. बेनीपुरी जी का गवास कब आ था

उर : १९६८ ईंमबेनीपुरी का गवास आ था। 

 :नीवं की ईटं ोंको ध ोंमाना गया है

(क) लाल रंग होनेके कारण 

() सुर होनेके कारण 

() आधारिशला बननेके कारण 

() ठोस होनेके कारण। 

उर: () आधारिशला बननेके कारण 

 :सुर सृि हमेशा ा खोजती है

3

(क) अास 

() दौलत 

() बिलदान 

() मारी 

उर:() बिलदान 

1.नीवं की ईटं पाठ केआधार पर नीवं की ईटं के लाथको  कीिजए’ 

उर: 

नव की ईटं पाठ मलेखक नेनव की ईटं को िन:ाथाग और बिलदान का तीक बताया है। जब िकसी सुर भवन पर मनु की ि पड़ती है, ो वह उसकी िवशालता, भता, कलाकता आिद मउलझकर रहाता है। उसका ान उस िवशाल और सुर भवन को अपनी छाती परालनेवाली नीवं की ओर नहींजाता। इस नीवं पर ही भवन का होना और न होना िनभर होता है। नव के िवचिलत होतेही भवन का साराौयधराशायी हो जाता है। नीवं मगड़नेवाली ईटं ोंका कोई अपना ाथया लाभ नहींहोता। 

वे तो इस िजगी भर की कैद को इसिलए ीकार करती हिक संसार को एक भ-भवन की सौगात िमले। उनके ऊपर थत 

4

नके सािथयों को, मु वायुऔर काश िमलता रहे। इस कार नव की ईटं परिहत और ाग को अनुपम तीक है।ेखक ने न केवल भवन-िनमाण मअिपतुरािनमाण मभी नीवंी ईटं के मह पर काश डाला है। जो लोग िस और शंसा की िचा िकए िबना सवथम देश की आजादी के िलएिलदान हो गए, वे नीवं की ईटं ही तो थे। 

2.यिद देश केनौजवान नीवं की ईटं बननेको तैयार होंतो देश के ौढ़ लोगोंकी ा भूिमका होनी चािहए? नीवं की ईटं िनब को ान मखतेए उर दीिजए। 

उर

आज हर ौढ़ और वृ, जवानोंको उनके कतोंका रण करा रहा है। युवाओंसेबड़ी-बड़ी अपेाएँकी जा रही ह। यिद देश केयुवक अपनी िजेदारयोंको उठानेको आगेआएँतो िफर देश के ौढ़ और वृोंकाािय ा होना चािहए? िनय ही यह िवचारणीय  है। बड़ेलोगोंकात हैिक वेयुवाओंका सही मागदशन कर। उनकी श और ितभाा अपनेाथके िलए योग न कर। उनको बड़ी सेबड़ी िजेदारयाँँभालनेके िलए िशित कर। उअिधक सेअिधक मौके द। 

(क) रामवृ बेनीपुरी का ज कहाँआ 

था? 2 

5

उर : रामवृ बेनीपुरी का ज 1902 ईंम 

िबहार के मुजरपुर िजलेके अंतगत बेनीपुरी 

नामक गाँव मआ था। 

(ख) बेनीपुरी जी को जेल की यााएँोंकरनी 

पड़ी थी? 2 

उर : भारतीय तंता संाम के सिय सेनानी 

होनेकेनातेबेनीपुरी जी को जेल की यााएँकरनी 

पड़ी थी। 

(ग) बेनीपुरी जी का गवास कब आ था

उर : १९६८ ईंमबेनीपुरी का गवास आ था। 

(घ) चमकीली, सुंदर, सुघड़ इमारत वुत:िकस 

पर िटकी होती है

6

उर : चमकीली, सुंदर, सुघड़ इमारत वुत: नीवं 

की ईटं पर िटकी होती है। 

(ङ) दुिनया का ान सामातः िकस पर जाता 

है

उर : दुिनया का ान सामातः कं गूरेपर जाता 

है। 

(च) नीवं की ईटं को िहला देनेका परणाम ा 

होगा

उर : नीवं की ईटं को िहला देनेका परणाम कं गूरा 

ज ही जमीन पर िगर जाएगा। 

(छ) सुंदर सृि हमेशा ही ा खोजती है

उर : सुंदर सृि हमेशा बिलदान खोजती है। 

7

(ज) लेखक के अनुसार िगरजाघरोंके कलश 

वुत: िकनकी शहदत सेचमकतेह

उर : लेखक के अनुसार िगरजाघरोंके कलश 

वुत: अनाम शिहदोंकी शहादत सेचमकतेह। 

(झ) आज िकसके िलए चारोंओर होड़ा-होड़ी 

मची है

उर : आज कं गूरा बननेके िलए चारोंओर होड़ा

होड़ी मची है। 

(ञ) पिठत िनबंध म'सुंदर इमारत' का आशाय 

ा है

उर : पिठत िनबंध म'सुंदर इमारत' का आशाय है 

-- नया सुंदर समाज। 

8

छोटा जादूगर 

1, छोटा जादूगर कहानी केआधार पर जयशंकर साद की बमुखी ितभाकी समीा कीिजयए 

Answer 

एक बा िजसके िपता देश के खाितर जेल मबंद रहतेहऔर मांिबमारी सेगुजर रहीहै। ऐसेमएक बालक अपना पेट भरनेके िलए कुछ जादू िदखानेकाम सोचता हैऔर कुछ आय अिजत कर वह अपनेमांके िलएं बल खरीदना चाहता है। 

उसकी मुलाकात लेखक सेहोती हैजो शरबत पी रहेहोतेह। उसेभी मन होता हैपर पैसेन होनेके कारण वह पीछेनहींपाता है। बालक काम खेलेखकर लेखक उसेशरबत िपलातेहऔर खेल िदखानेका कारण पूछते 

वह कारण भी बोलता है। तब सेलेखक को बालक सेिमलनेकी इा भी होती है। एकिदन छोटेजादूघर सेिमलकर लेखक को उस बालक के मांी वािवक थित काफी पता लगता है। 

9

एक िदन बालक सहमेए अवथा मखेल िदखाता है। लेखक िफर िमलता हैबालक सेऔर उससेउसके उदास होनेकारण कारण पूछता हैवहोलता हैमांनेआज जी आनेबोला था ोिंक मांको इस दुिनया सेानेकी अनुभूित हो चुकी थी। 

इस बात पर लेखक बालक सेनाराज होकर भी उसेउसकेघर अपनेसाथ लेजातेह। जहांजानेके बाद जादूगर को पता चलता हैिक उसकी मांअबहींरही और वह फूट-फूट कर रोया है 

जयशंकर साद (30 जनवरी 1889 - 15 नवर 1937)िही किव, ाटककार उपासकार तथा िनबकार थे। वेिही के छायावादी युगे चार मुख ोंमसेएक ह। उोनं ेिही का मएक तरह सेायावाद की थापना की िजसके ारा खड़ी बोली के का मन केवलमनीय माधुयकी रसिस धारा वािहत ई, ब जीवन के सू एवं 

ापक आयामोंके िचण की श भी संिचत ई और कामायनी तकँचकर वह का ेरक शका केप मभी ितित हो गया। बादे गितशील एवंनयी किवता दोनोंधाराओंके मुख आलोचकोंनेसकी इस शमा को ीकृित दी। इसका एक अितर भाव यह भी आ िक खड़ीबोली िही का की िनिववाद िस भाषा बन गयी। 

10

िही सािह के इितहास मइनके कृित का गौरव 

अु है। वेएक युगवतक लेखक थेिजोनं ेएक ही साथ किवता, ाटक, कहानी और उपास के े मिहंदी को गौरवात होनेयोृितयाँदी।ं किव केप मवेिनराला, , महादेवी के साथ छायावाद के 

मुख  केप मितित ए ह; नाटक लेखन मभारतेदुके बाद वेक अलग धारा बहानेवालेयुगवतक नाटककार रहेिजनकेनाटक आज भी पाठक न केवल चाव सेपढ़तेह, ब उनकी अथगिभता तथांगमंचीय ासंिगकता भी िदनानुिदन बढ़ती ही गयी है। इस ि सेउनकीहा पहचाननेएवं थािपत करनेमवीरे नारायण, शांता गाँधी, सेनेजा एवंअब कई ियोंसेसबसेबढ़कर महेश आन का शंसनीयितहािसक योगदान रहा है। इसके अलावा कहानी और उपास के ेभी उोनं ेकई यादगार कृितयाँदी।ं िविवध रचनाओंके माम सेानवीय कणा और भारतीय मनीषा के अनेकानेक गौरवपूणपोंकाद्घाटन। ४८ वष के छोटेसेजीवन मकिवता, कहानी, नाटक, उपास और आलोचनाक िनबंध आिद िविभ िवधाओंमरचनाएँकी 

1.छोटेजादूगर नेमेलेमा-ा देखा? 

उर

छोटेजादूगर नेमेलेमचूड़ी फकना, खलौनोंपर िनशाना लगाना, तीर से नंबर छेदना और जादूगर के ताश का खेल देखा। 

2.छोटा जादूगर पदके पीछेोंनहींगया था? 

उर

11

छोटा जादूगर पदके पीछेइसिलए नहींगया ोिंक वहाँिटकट लगता था और छोटेजादूगर के पास िटकट खरीदनेके पैसेनहींथे| 

3 छोटेजादूगर नेमेलेमा-ा देखा? 

उर

छोटेजादूगर नेमेलेमचूड़ी फकना, खलौनोंपर िनशाना लगाना, तीर से नंबर छेदना और जादूगर के ताश का खेल देखा। 

छोटा जादूगर पदके पीछेोंनहींगया था? 

उर

छोटा जादूगर पदके पीछेइसिलए नहींगया ोिंक वहाँिटकट लगता था और छोटेजादूगर के पास िटकट खरीदनेके पैसेनहींथे। 

5.छोटेजादूगर के िपता उन िदनोंथे 

(क) शहर म 

(ख) जेल म 

(ग) कािनवाल म 

(घ) खेत म। 

6.छोटा जादूगर अपनी माँके िलए लेजाना चाहता था| 

12

(क) उपहार 

(ख) धन 

(ग) साड़ी 

(घ) प। 

7.“मुझेशरबत न िपलाकर आपनेमेरा खेल देखकर मुझेकुछ देिदया होता, तो मुझेअिधक सता होती।” इस कथन सेछोटेजादूगर के  के िकस पहलूका पता चलता है 

(क) ाथपन को 

(ख) याचना की वृि का 

(ग) माँके ित कत िनवाह का 

(घ) खाने-पोनेकी वृि का। 

उर

1. (ख

2. (घ

3. (ग

लघूराक  

13

1.छोटा जादूगर िकसको कहा गया है? 

उर

छोटा जादूगर तेरह- चौदह वषके एक बालक को कहा गया हैजो खेल-तमाशेिदखाकर अपनी जीिवका चलाता था। 

2.छोटेजादूगर नेिकतनेखलौनोंपर गद सेिनशाना लगाया? उर

छोटेजादूगर नेबारह खलौनोंपर गद सेिनशाना लगाया। 3. 

छोटेजादूगर के िपता जेल ोंगए? 

उर

छोटेजादूगर के िपता देश की आजादी की खाितर जेल मगए थे। यह बात छोटा जादूगर बड़ेगवके साथ बताता है। 

4.लेखक की पी नेछोटेजादूगर सेा कहा? 

उर

.लेखक की पी नेछोटेजादूगर सेअपना जादूका खेल िदखानेऔर मन बहलानेके िलए कहा। 

14

6.छोटेजादूगर का खेल उस िदन ोंनहींजमा? 

उर: 

छोटेजादूगर का खेल उस िदन इसिलए नहींजमा ोिंक उस िदन उसकी माँनेउसेघर जी आनेकी िहदायत दी थी ोिंक उसेयह आभास होहा था िक उसकी मृुकी घड़ी समीप है। 

7.छोटेजादूगर की माँअपनेपु के बारेमा सोचती होगी? उर

छोटेजादूगर की माँको अपनेपु पर बत गवमहसूस होता होगा ोिंक इतनी छेटी-सी उ मवह जीिवका चलानेके िलए खेल-तमाशा िदखाकरैसेइका करता है। िजससेवह अपनी माँऔर अपनेिलए भोजन को 

बंध करता है। इतनी िवषम परथितयाँहोनेके बावजूद वह धैयके साथाँकी देखभाल करता है। साथ ही साथ छोटेजादूगर की माँको उसकी िचंता भी रहती होगी िक मेरेमरनेके बाद वह इस दुिनया मअकेली रहायेगा। ोिंक छोटेजादूगर की माँको अपनी अंितम घड़ी समीप आनेा अहसास था। 

15

8.छोटेजादूगर के थान पर आप होतेतो माँके िलए ा-ा करतेऔर कैसे? 

उर

अगर हम छोटेजादूगर के थान पर होतेतो हम भी उसकी तरह अपनेव अपनी माँके िलए कोई काम जर करते। िजससेहमारा जीवन चलता ।ायद हम कोई सामान बेचकर पैसा कमातेया िकसी नर का योगरके पैसा इका करते। 

नीलकंठ 

1. अित संि उर दो 

(क) मोर - मोरनी के जोड़ेको लेकर घर पँचनेपर सब लोग महादेवी जी सेा कहनेलगे? 

16

उर : मोर-मोरनी के जोड़ेको लेकर घर पँचनेपर सब लोग महादेवी जी सेकहनेलगेिक यह तो तीतर ह, मोर कहकर ठग िलया है। 

(ख) महादेवी जी के अनुसार नीलकं ठ को कैसा वृ 

अिधक भाता था ? 

उर : महादेवी वमाजी के अनुसार नीलकं ठ को फलोंके वृोंसेअिधक पुत और पिवत वृ भातेथे। 

(ग) नीलकं ठ को राधा और कुा मिकसेअिधक ार 

था और ों? 

उर : नीलकं ठ को राधा और कुा मराधा सेअिधक ार था ोिंक वेदोनोंआपस मबत िमल थे। दोनों 

एकसाथ नृ करतेथे। नीलकं ठ और राधा की सबसे िय ऋतुवषाथी । मेघ के गजन के ताल पर ही वे तय नृ का आरंभ करता । 

(घ) मृुके बाद नीलकं ठ का संार महादेवी जी ने 

कैसेिकया ? 

17

उर : मृुके बाद नीलकं ठ का संार करनेके िलए महादेवी जी ने अपनेशाल मलपेटकर उसेसंगम लेगई और वहाँगंगा की बीच धार म उसेवािहत कर िदया । 

भोलाराम का जीव 

 करो

(1) दरखापेपरवेट से नहीं दबती।ं 

उर: पेपरवेट का काम होता है जरी कागजातो को हवा के झोकं ो से बचाना। उड़ते कागजों को तो पेपरवेट रोक लेता है, पर यिद िकसी कायालय मिकसी काम को करवाने के िलए खाली कागजातों के साथ पैसों का वजन नहीं दगे तो काम नहीं बनेगा अथात पैसों का वजन रखना पड़ता ही है। तभी उन अजयों पर काम होगा। िवडंबना यह है िक आज सरकारी दरों पर इसी तरह काम करवाने के िलए घूस देनी पड़ती है। चपरासी से लेकर बड़े अफसरों तक घूस का िसलिसला चलता आ रहा है। जो िजतनी जी और िजतना ादा घूस दे सकेगा उसका काम भी उतनी ही जी होगी। 

(2) यह भी एक मंिदर है। यहांँभी दान-पु करना पड़ता है। 

उर: धािमक थलों मलोग अपनी फरयाद लेकर वहांँ दान-पु कर आते ह। तािक उनकी मनोकामना पूरी हो सके। सरकारी कायालय या अ दरों पर यिद िकसी को अपना काम करवाना है तों वहांँबैठे बड़े अफसरों को रत देनी पड़ती 

18

है। यानी कहा जाए तो मंिदर की तरह उभी साद चढ़ाना पड़ता है। अथात जो दान पूण करेगा उसका काम बनेगा। नहीं तो उसकी फरयाद अनसुनी कर दी जाएगी। इसीिलए लेखक ने 

ं के तौर पर इन ाचार से भरे दरों को मंिदर कहा है और उदी जाने वाली रत को दान। 

उर करो

) 'पर ऐसा कभी नहीं आ था।'- यहांँिकस घटना का संकेत िमलता है

उर: जब भी मनु की अंितम घड़ी आती है, तो धमराज अपने यमदूत को उसका ाण लाने भेजते ह। तािक धमराज के दरबार मउसके कम के अनुसार ग या नक मउसे भेजा जा सके। भोलाराम के जीव ने पाँच िदन पहले ही देह ाग दी थी। पर यमदूत अभी तक भोलाराम को लेकर दरबार महािजर नहीं आ था। ऐसा कभी नहीं आ था। यहांँइसी घटना का संकेत िमलता है। 

() यमदूत ने भोलाराम के जीव के लापता होने के बारे मा बताया

उर: यमदूत ने भोलाराम के लापता होने के बारे मयह बताया िक जब उसने भोलाराम के जीव को पकड़ा और यमलोक की 

19

याा हेतुनगर के बाहर आते ही दोनों एक ती वायु-तरंग पर सवार होने ही वाले थे िक वह उसके चंगुल से िनकल भागा। उसने पाँच िदनों तक उसकी तलाश मसारा ांड छान डाला। पर भोलाराम का जीव कहीं नहीं िमली। 

()धमराज ने नक मिकन-िकन लोगों के आने की पुि की? उन लोगों ने ा-ा अिनयिमतताएंँकी थी

उर: धमराज ने नक मबड़े-बड़े इंजीिनयर, ठेकेदार और ओवरसीयर के आने की पुि की। उन लोगों ने अनेक अिनयिमतताएँकी थी। िजनमबड़े-बड़े इंजीिनयर ने ठेकेदार के साथ िमलकर भारत की पंचवषय योजनाओं का पैसा खाया। ओवरसीयर ने तो मजदूरों की हाजरी भरकर पैसा खाया, जो कभी काम पर आए ही नहीं थे। 

() भोलाराम की पारवारक थित पर काश डालो। 

उर: भोलाराम जबलपुर शहर के घमापुर मोहे मनाले के िकनारे एक डेढ़ कमरे के टूटे-फूटे मकान मअपनी पी, दो लड़के और एक लड़की के साथ रहता था। छोटी सी सरकारी नौकरी से अपना परवार चला रहा था। पर जब नौकरी से 

रटायर आ तो पशन के पैसे उसे िमलने चािहए थे, पर पांँच साल पहले रटायर होने के बावजूद उसे पशन नहीं िमला। िजसके चलते उसकी घर की थित बत दयनीय हो गई थी। घर के गहने, बतन सब िबक चुके थे। यहांँतक िक भोलाराम ने घर का भाड़ा भी एक साल से नहीं िदया था। इस आिथक थित के कारण अंत मउसने संसार ही छोड़ िदया। 

20

() भोलाराम ने दरातो भेजी थी,ं पर उन पर वजन नहीं रखा था, इसिलए कहीं उड़ गई होगी।'- दर के बाबूके ऐसा कहने का ा आशय था। 

उर: भोलाराम ने दरखा तो भेजी थी, पर उन पर वजन नहीं रखा था, इसिलए कहीं उड़ गई होगी, ऐसा कहने से दर के बाबूका आशय यह था िक भोलाराम ने पशन मंजूर करवाने के िलए सरकारी कमचारयों को देने के िलए दराों के साथ पैसे नहीं रखे थे। अथात भोलाराम को रत देनी चािहए थी। आज के इस जमाने मिबना घूस िदए कोई काम नहीं होता। इसीिलए भोलाराम का काम नहीं बना और उसकी अज कहीं फाइल म दवे िकसी कोने मपड़ी रही। 

() चपरासी ने नारद को ा सलाह दी

उर: नारद को कायालय मइधर से उधर बाबूऔर अफसरों के यहांँघूमता आ देख, चपरासी ने नारद को सलाह दी िक यहांँ साल भर भी चर लगाते रहगे तो आपका काम नहीं होगा। आप सीधे बड़े साहब से िमली। उअगर खुश कर िलया तो समझो आपका काम हो गया। 

सड़क की बात 

(1)किव-गु रवीं नाथ ठाकुर का ज कहा आ था? 21

उर: किव-गु रवीं नाथ ठाकुर का ज कोलकाता के जोरासाँको मएक संप एवं ितित बंा परवार मआ था। 

(2) गुदेव ने कब मोहनदास करमचंद गांँधी को 'महाा' के प मसंबोिधत िकया था

उर: जब मोहनदास करमचंद गांँधी शांितिनकेतन मआए, तब उकिव-गु ारा 'महाा' के प मसंबोिधत िकया गया था। 

(3) सड़क के पास िकस काय के िलए फुसत नहीं है

उर: सड़क के पास इतनी सी फुसत नहीं है िक वह अपने िसरहाने के पास एक छोटा-सा नीले रंग का वनफूल भी खला सके। 

(4) सड़क ने अपनी िनावथा की तुलना िकससे की है

उर: सड़क ने अपनी िनाअवथा की तुलना अंधे  से की है। 

(5) सड़क अपनी कड़ी और सुखी सेज पर ा नहीं डाल सकती

उर: सड़क अपनी कड़ी और सुखी सेज पर एक भी मुलायम हरी घास या दूब नहीं डाल सकती। 

22

उर दो

आलोक भाग २ सड़क की बात पाठ का -उर 

(1) रवीं नाथ ठाकुर जी की ितभा का परचय िकन ेों म िमलता है

उर: रवीं नाथ ठाकुर जी बमुखी ितभा के धनी थे। सािह के े मउोनं े अपना महपूण योगदान िदया। उोनं े कई हजार किवताओ,ं गीतो,ं कहािनयो,ं पोकं ो एवं िनबंधों की रचना कर अपनी ितभा का परचय िदया है। का-ंथ म'गीतांजिल' उनका आधार ंभ है। उपास म'गोरा' और 'घरेबाइरे' उेखनीय है। कहािनयों मसे'काबुलीवाला' एक कालजयी कहानी है। अतः सािह के सभी ेों मउोनं े अपनी ितभा का परचय देते ए कई रचनाएंँकी है। 

(2) शांितिनकेतन के मह पर काश डाले। 

उर: शांितिनकेतन किव गु रवीं नाथ ठाकुर ारा थापना की गई एक शैिक सांृितक क है, जो रिवं नाथ ठाकुर के सपनों का मूत प है। रिवं नाथ ठाकुर जी िशा एवं संृत से ेम करते थे। इसीिलए उोनं े शांितिनकेतन की थापना की, जो आगे चलकर 'िव-भारती िविवालय' के प मिस 

आ। इसी शांितिनकेतन मउोनं े मोहनदास करमचंद गांँधी को 'महाा' की उपािध दी थी। 

23

(3) सड़क शाप-मु की कामना ों कर रही है

उर: सड़क शाप-मु की कामना कर रही है तािक वह करवट ले सके, अपनी कड़ी और सुखी सेज पर मुलायम हरी घास िबछा सके और अपने िसरहाने के पास नीले रंग का वनफूल खलाकर उसका सुख पा सके। 

(4) सुख की घर-गृही वाले  के पैरों की आहट सुनकर सड़क ा समझ जाती है

उर: सड़क लोगों के चरणों के श से ही उनके दय को पढ़ लेती है। सड़क को पता चल जाता है िक कौन सुखी घर से है और कौन दुखी घर से। सुखी की घर-गृही वाले  के पैर की आवाज सुनकर सड़क समझ जाती है िक वह सुख पूवक घर पंँचने को आतुर है। खुिशयों से भरा उसका घर मानो उसे अपनी और ार और ेह से पुकार रहा है। 

(5) गृहहीन  के पैरों की आहट सुनने पर सड़क को ा बोध होता है

उर: गृहहीन  के पैरों की आहट सुन सड़क जान लेती है िक वह िनराश और हताश होकर िबना िकसी ल की ओर चले जा रहा है। उसके कदमों मन तो आशा होती हैऔर न ही कोई अथ। सड़क को उसकी आहट से ऐसा तीत होता है िक उसके कदमों से सड़क की सूखी ई धूल मानो और सूख जाती है। 

(6) सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-ची को ों ादा देर तक नहीं देख सकती

24

उर: सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-ची को ादा देर तक इसिलए नहीं देख सकती ोिंक सड़क पर हर व नए-नए पांँव आकर पुराने पांँव के चरणों को पोछं जाती है। एक चरण ची हजारों चरणों के तले लगातार कुचला जाकर कुछ ही देर मवह धूल मिमल जाता है। 

(7) बों के कोमल पाँवों के श से सड़क मकौन-से मनोभाव बनते ह

उर: जब बों के कोमल पाँव सड़क पर श करती हतब सड़क अपने आप को किठन अनुभव करती है। ोिंक सड़क को लगता है िक उनके कोमल पांँवों को कठोर सड़क पर चलने म चुभन महसूस होती होगी। इसीिलए सड़क की मनोभावना होती है िक काश बों के पैर पड़ते ही कठोर सतह फूलों की तरह नरम और मुलायम हो जाए। 

(8) िकसिलए सड़क को न हंँसी है, न रोना

उर: रोजाना सड़क के ऊपर से लोग अपने ल की ओर चला करते ह। हर पल वे अपने पैरों के िनशान छोड़ जाते ह। चाहे वह िजसके भी पैरों के िनशान ों न हो, सड़क अमीर और गरीब नहीं देखता। उसके एक सांँस लेने से धूल की तरह सब कुछ पल भर मउड़ जाता है। वह अपने ऊपर कुछ भी पड़ा रहने नहीं देती। इसीिलए सड़क को न हंँसी है, न रोना। 


hindi alok class 10,class 10 hindi alokbhag 2 chapterhindi class 10

class 10 seba hindi question, answer

alok bhag 2 class 10 solutions,

seba class 10 hindi solutions,

class 10 hindi book,

class 10 hindi alok bhag 2 chapter 2,

ambar bhag 2 hindi book solution class 10,

25


Previous Post Next Post