Niv Ki Int Class 10 Aalok Bhag 2 SEBA ( नींव की ईंट -रामवृक्ष बेनीपुरी Class 10)

 

Niv Ki Int Class 10 Aalok Bhag 2 SEBA ( नींव की ईंट -रामवृक्ष बेनीपुरी Class 10) 



(क) रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म कहाँ हुआ

    था?
    उत्तर : रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 1902 ईं में
    बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के अंतर्गत बेनीपुरी
    नामक गाँव में हुआ था।

    (ख) बेनीपुरी जी को जेल की यात्राएँ क्यों करनी
    पड़ी थी?
    उत्तर : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सक्रिय सेनानी
    होने के नाते बेनीपुरी जी को जेल की यात्राएँ करनी
    पड़ी थी।

  (ग) बेनीपुरी जी का स्वर्गवास कब हुआ था?
    उत्तर : १९६८ ईं में बेनीपुरी का स्वर्गवास हुआ था।

    (घ) चमकीली, सुंदर, सुघड़ इमारत वस्तुत:किस
    पर टिकी होती है?
    उत्तर : चमकीली, सुंदर, सुघड़ इमारत वस्तुत: नींव
    की ईंट पर टिकी होती है।

    (ङ) दुनिया का ध्यान सामान्यतः किस पर जाता
    है?
    उत्तर : दुनिया का ध्यान सामान्यतः कंगूरे पर जाता
    है।

    (च) नींव की ईंट को हिला देने का परिणाम क्या
    होगा?
    उत्तर : नींव की ईंट को हिला देने का परिणाम कंगूरा
    जल्द ही जमीन पर गिर जाएगा।

    (छ) सुंदर सृष्टि हमेशा ही क्या खोजती है?
    उत्तर : सुंदर सृष्टि हमेशा बलिदान खोजती है।

    (ज) लेखक के अनुसार गिरजाघरों के कलश
    वस्तुत: किनकी शहदत से चमकते हैं?
    उत्तर : लेखक के अनुसार गिरजाघरों के कलश
    वस्तुत: अनाम शहिदों की शहादत से चमकते हैं।

    (झ) आज किसके लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी
    मची है?
    उत्तर : आज कंगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा-
    होड़ी मची है।

    (ञ) पठित निबंध में 'सुंदर इमारत' का आशाय
    क्या है?
    उत्तर : पठित निबंध में 'सुंदर इमारत' का आशाय है
    -- नया सुंदर समाज।

Niv Ki Int Class 10 Aalok Bhag 2 SEBA ( नींव की ईंट -रामवृक्ष बेनीपुरी Class 10) 


2 MARKS

 (क) मनुष्य सत्य से क्यों भागता है?

उत्तरः  सत्य कठोर होता है। कठोरता और भट्टापन साथ-साथ जन्मा करते हैं, जिया करते हैं। हम कठोरता से भागते हैं और भद्देपन से मुख मोड़ते हैं। इसलिए मनुष्य सत्य से भी भागते हैं। 

 (ख) लेखक के अनुसार कौन-सी ईंट अधिक धन्य है ?

उत्तरः लेखक के अनुसार वह ईट अधिक धन्य है - जो जमीन के सात हाथ नीचे जाकर गड़ गई और हमारत की पहली ईट बनी। 

 (ग) नींव की ईंट की क्या भूमिका होती है?

उत्तरः  नीव की ईट की भूमिका यह है कि समाज का अनाम शहीद, जो बिना विसी यश-लोभ के समाज के नव निर्माण हेतु आत्म बलिदान के लिए प्रस्तुत है ।  

(घ) कंगूरे की ईंट की भूमिका स्पष्ट करो।

उत्तरः कंगुरे की ईट की भूमिका यह है। प्रसिद्धि प्रशंसा अथवा अन्य किसी स्बायेवश समाज का काम करना चाहता है। 

 (ङ) शहादत का लाल सेहरा कौन-से लोग पहनते हैं और क्यों?

उत्तरः  शहादत का लाल सेहरा कृछ मौन-मूक लोगों को पहनना पड़ता है, ताकि एक सुंदर समाज बने। 

 (च) लेखक के अनुसार ईसाई धर्म को किन लोगों ने अमर बनाया और कैसे ?

उत्तरः लेखक के अनुसार ईसाई धर्म को उन लोगों ने अमर बनाया, जिन्होंने उस अर्म के प्रचार में अपने को अनाम उत्सर्ग कर दिया। 

(छ) आज देश के नौजवानों के समक्ष चुनौती क्या है?

उत्तरः आज देश के नौजवानों के समक्ष यह चुनौती है कि सात लाख गाँवों कानी नव-निर्माण, हजारो शहरों और कारखानों का नव-निर्माण, कोई शासक इसे सम्भव नही कर सकता। इसलिए इस काम में नौजवनों ने अपने को चुपचाप खपा दों। 

SHORT TYPE

 (क) मनुष्य सुंदर इमारत के कंगूरे को तो देखा करते हैं, पर उसकी नींव की ओर उनका ध्यान क्यों नहीं जाता ?

उत्तरः मनुष्य सुंदर इमारत के कंगूरा को देखने का कारण यह है कि दृुनिया चकमक की ओर नजर डालते हैं। लोग ऊपर का आवरण देखती है, आवरण क नीसे जो ठोस सत्य है उस पर ध्यान नहीं देते। इसलिए नीवं की ओर उतका ध्यान नही जाता। 

(ख) लेखक ने कंगूरे के गीत गाने के बजाय नींव के गीत गाने के लिए क्या आह्वान किया है?

उत्तरः  लेखक ने कंगुरे के गीत के बजाय नीवं के गीत गाने के लिए इसलिए आहवान किया है कि नीवं की मजबूती और पुख्तेपर पर सारी इमारत की अस्ति-नास्ति निर्भर करती है। यदि नीवं की ईट को हिला दिया जाय तो कंगुरा बोतहाशा जमीन पर आ जायेगा ৷ 
(ग) सामान्यत: लोग कंगूरे की इंट बनना तो पर्संद करते हैं, परंतु नींव की ईंट बनना क्यों नहीं चाहते ?

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उत्तरः लोग नीवं की ईट बनना नहीं चाहने का कारण यह है कि नीव्ं की ईंट अर्थात मौन बलिदान सोस और भह़ा होता है। सब लोग भदेपन से भागते हैं। इसलिए वे लोग नींव की ईट बनने से भी मागते हैं। यश-लोभी लोग केवल  प्रसि्धि प्रशंसा अथवा अन्यकिसी स्वार्थवश समाज का काम करना चाहते हैं। 

(घ) लेखक ईसाई धर्म की अमर बनाने का श्रेय किन्हें देना चाहता है और क्यों ?

उत्तरः लेखक ईसाई धर्म को अमर बनाने का श्रेय उन्हें देना चाहता है, जिन्दीत जस धर्म के प्रचार में अपने को अनाम उत्सर्ग कर दिया। कारण उन में से कितसे जिंदा जलाए गए, कितने सूली पर चढ़ाए गए, कितने वन-बन भटककर  जंगली  जानवरों के शिकार हुए तथा भयानक भूख प्यास के शिकार हुए।

(ङ) हमारा देश किनके बलिदानों के कारण आजाद हुआ?

उत्तरः  हमारा देश उनके बलिदानों के कारण आजाद नहीं हुआ, जिन्होंने इतिहास में स्थान पा लिया है। देश का शायद कोई ऐसा कोना हो, जहाँ कुछ ऐसे दधीचि नहीं हुए हो, जिनकी हद्दियों के दान ने ही विदेशी वृत्तासुर का नाश किया। 

 (च) दधीचि मुनि ने किसलिए और किस प्रकार अपना बलिदान किया था ?

उत्तरः  पौरानिक जमाने की बात है। स्वर्गलोक में देवता और असूरों के बीच लड़ाई चल रहे थे। देवतागण हर बार हार खाना पड़ा। आखिर इन्द्र का पता चला कि दधीचि मुनि की हट्दी से निमित बज्र द्वारा ही असूुरों का बध किये जा सकते हैं। देवतागण दधीचि मुनि के पास आया और लड़ाई के बारेमें बता दिया। देवतागणों के मंगल के लिए दधीचि अपना बलिदान किया था ।

 (छ) भारत के नव-निर्माण के बारे में लेखक ने क्या कहा है?

उत्तरः भारत के नव-निर्माण के  बारे में लेखक ने कहा - इस नए समाज के  निर्माण के लिए भी हमें नीव की ईट चाहिए। अफसोस, कंगूरा बनने के लिए चारों  होडा -होड़ी मची है, नीवे की ईट बनने की कामना लुप्त हो रही है। 
(ज) 'नींव की ईंट' शीर्षक निरबंध का संदेश क्या है?

उत्तरः  नीवं की ईट शीर्षक निबंध का यह संदेश है - आज कंगूरे की ईट बनने के लिए चारों ओर होड़-होड़ी मची है, नीवं की ईट बनने की कामना लुप्त हो रही है। इस रुप में भारतीय समाज का नव-निर्माण संभव नही। इसलिए लेखक ने देश के नौजवनों से आहवान किया है कि वे नीवं की ईट बनने की कामना लेकर आगे आएँ और भारतीय समाज के नव-निर्माण में चूपचाप अपने को खपा दें।
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 LONG 

(क) 'नींव की ईंट' का प्रतीकार्थ स्पष्ट करो।

उत्तरः नीव की ईट का प्रतीकार्थ है- समाज का अनाम शहीद जो बिना किसी यश-लोग के समाज के नव-निर्माण हेतु आत्म-बलिदान के लिए प्रस्तुत है। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के सैनिकगण नीव की ईट की तरह थे। हमारा देश उनके बलिदान के कारण आजाद हुआ। आज नए समाज निर्माण के लिए हमें नीव की ईट चाहिए।पर अफसोस है कि कंगूरा बनने के लिए चारों ही होड़ा-होड़ी मची है, नीव की ईट बनने की कामना लुप्त हो रही है। अर्थात देश की प्रगति के लिए काम करनेवालों की संख्या घट रहा है और अपना स्वार्थ के लिए काम करने वालों की संख्या दिन-व-दिन बढ़ रहा है।

(ख) 'कंगूरे की इंट' के प्रतीकार्थ पर सम्यक् प्रकाश डालो।

उत्तरः कंगुरे की ईट के प्रतीकार्थ है: प्रशंसा अथवा अन्य किसी स्वार्थवश समाज का काम करना चाहता है। स्वतंत्र - समाज का यथ लोभी सेवक, जो प्रसिद्धि भारत के शासकगण कंगूरे की ईट साबित हुआ। क्योंकि वे अपना स्वार्थ सिद्धि के लिए अपना आसन रक्षा हेतु तथा अपना मकसद सिद्धि हेतु काम किये रहे। उनको दृष्टि में क्या देश, क्या राज्य क्या शहर या गाँव ध्यान देने का अवसर नहीं केवल दिखाने के लिए ही इधर-उधर दौड़ता। ताकि लोगें की दृष्टि में कंगुरे की ईट बन सके। 

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(ग) 'हाँ, शहादत और मौन-मूक! समाज की आधारशिला यही होती है'- का आशय बताओ।

उत्तरः  हा, शहादत और मौन-मूक। समाज की आधारशिला कहा गया है। क्यों कि इसी से समाज का निर्माण होता है। ईसाई लोगों की शहदूत ने ईसाई धर्म को अमर बनाया। उन लोगों ने धर्म के प्रचार में अपने को अनाम उत्सर्ग कर दिया। उनके नाम शायद ही कही लिखे गए हों- उनकी चर्चा शायद ही कही होती हो। किंतु ईसाई धर्म उन्ही के पुण्य-प्रताप से फल-फूल रहा है। वैसे ही हमारा देश आजाद हुआ उन सैनिकगण के बलिदानों के कारण, जिनका नाम इतिहास में नही है। आज भारतवर्ष के सात लाख गाँव, हजारों शहरों और सैकड़ो कारखानों के नव-निर्माण हुआ है। इसे कोई शासक अकले नही किया। इस के पीसे कई नौजवनों की मौन आत्म बलिदान हैं। अतः यह स्पष्ट है कि शहादत और मौन- मूक समाज निर्माण की आधारशिला है। 
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