alok Bhag 2
सड़क की बात पाठ का प्रश्न-उत्तर
संक्षिप्त में उत्तर दो:
(1)कवि-गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कहा हुआ था?
उत्तर: कवि-गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कोलकाता के जोरासाँको में एक संपन्न एवं प्रतिष्ठित बंग्ला परिवार में हुआ था।
(2) गुरुदेव ने कब मोहनदास करमचंद गांँधी को 'महात्मा' के रूप में संबोधित किया था?
उत्तर: जब मोहनदास करमचंद गांँधी शांतिनिकेतन में आए, तब उन्हें कवि-गुरु द्वारा 'महात्मा' के रूप में संबोधित किया गया था।
(3) सड़क के पास किस कार्य के लिए फुर्सत नहीं है?
उत्तर: सड़क के पास इतनी सी फुर्सत नहीं है कि वह अपने सिरहाने के पास एक छोटा-सा नीले रंग का वनफूल भी खिला सके।
(4) सड़क ने अपनी निद्रावस्था की तुलना किससे की है?
उत्तर: सड़क ने अपनी निद्राअवस्था की तुलना अंधे व्यक्ति से की है।
(5) सड़क अपनी कड़ी और सुखी सेज पर क्या नहीं डाल सकती?
उत्तर: सड़क अपनी कड़ी और सुखी सेज पर एक भी मुलायम हरी घास या दूब नहीं डाल सकती।
उत्तर दो: 5
आलोक भाग २ सड़क की बात पाठ का प्रश्न-उत्तर
(1) रवींद्रनाथ ठाकुर जी की प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है?
उत्तर: रवींद्रनाथ ठाकुर जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई हजार कविताओं, गीतों, कहानियों, रूपोंको एवं निबंधों की रचना कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। काव्य-ग्रंथ में 'गीतांजलि' उनका आधार स्तंभ है। उपन्यास में 'गोरा' और 'घरेबाइरे' उल्लेखनीय है। कहानियों में से 'काबुलीवाला' एक कालजयी कहानी है। अतः साहित्य के सभी क्षेत्रों में उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए कई रचनाएंँ की है।
(2) शांतिनिकेतन के महत्व पर प्रकाश डाले।
उत्तर: शांतिनिकेतन कवि गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापना की गई एक शैक्षिक सांस्कृतिक केंद्र है, जो रविंद्र नाथ ठाकुर के सपनों का मूर्त रूप है। रविंद्र नाथ ठाकुर जी शिक्षा एवं संस्कृत से प्रेम करते थे। इसीलिए उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जो आगे चलकर 'विश्व-भारती विश्वविद्यालय' के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इसी शांतिनिकेतन में उन्होंने मोहनदास करमचंद गांँधी को 'महात्मा' की उपाधि दी थी।
(3) सड़क शाप-मुक्ति की कामना क्यों कर रही है?
उत्तर: सड़क शाप-मुक्ति की कामना कर रही है ताकि वह करवट ले सके, अपनी कड़ी और सुखी सेज पर मुलायम हरी घास बिछा सके और अपने सिरहाने के पास नीले रंग का वनफूल खिलाकर उसका सुख पा सके।
(4) सुख की घर-गृहस्ती वाले व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क क्या समझ जाती है?
उत्तर: सड़क लोगों के चरणों के स्पर्श से ही उनके ह्रदय को पढ़ लेती है। सड़क को पता चल जाता है कि कौन सुखी घर से है और कौन दुखी घर से। सुखी की घर-गृहस्ती वाले व्यक्ति के पैर की आवाज सुनकर सड़क समझ जाती है कि वह सुख पूर्वक घर पहुंँचने को आतुर है। खुशियों से भरा उसका घर मानो उसे अपनी और प्यार और स्नेह से पुकार रहा है।
संक्षिप्त में उत्तर दो:
(1)कवि-गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कहा हुआ था?
उत्तर: कवि-गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कोलकाता के जोरासाँको में एक संपन्न एवं प्रतिष्ठित बंग्ला परिवार में हुआ था।
(2) गुरुदेव ने कब मोहनदास करमचंद गांँधी को 'महात्मा' के रूप में संबोधित किया था?
उत्तर: जब मोहनदास करमचंद गांँधी शांतिनिकेतन में आए, तब उन्हें कवि-गुरु द्वारा 'महात्मा' के रूप में संबोधित किया गया था।
(3) सड़क के पास किस कार्य के लिए फुर्सत नहीं है?
उत्तर: सड़क के पास इतनी सी फुर्सत नहीं है कि वह अपने सिरहाने के पास एक छोटा-सा नीले रंग का वनफूल भी खिला सके।
(4) सड़क ने अपनी निद्रावस्था की तुलना किससे की है?
उत्तर: सड़क ने अपनी निद्राअवस्था की तुलना अंधे व्यक्ति से की है।
(5) सड़क अपनी कड़ी और सुखी सेज पर क्या नहीं डाल सकती?
उत्तर: सड़क अपनी कड़ी और सुखी सेज पर एक भी मुलायम हरी घास या दूब नहीं डाल सकती।
उत्तर दो: 5
आलोक भाग २ सड़क की बात पाठ का प्रश्न-उत्तर
(1) रवींद्रनाथ ठाकुर जी की प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है?
उत्तर: रवींद्रनाथ ठाकुर जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई हजार कविताओं, गीतों, कहानियों, रूपोंको एवं निबंधों की रचना कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। काव्य-ग्रंथ में 'गीतांजलि' उनका आधार स्तंभ है। उपन्यास में 'गोरा' और 'घरेबाइरे' उल्लेखनीय है। कहानियों में से 'काबुलीवाला' एक कालजयी कहानी है। अतः साहित्य के सभी क्षेत्रों में उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए कई रचनाएंँ की है।
(2) शांतिनिकेतन के महत्व पर प्रकाश डाले।
उत्तर: शांतिनिकेतन कवि गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापना की गई एक शैक्षिक सांस्कृतिक केंद्र है, जो रविंद्र नाथ ठाकुर के सपनों का मूर्त रूप है। रविंद्र नाथ ठाकुर जी शिक्षा एवं संस्कृत से प्रेम करते थे। इसीलिए उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जो आगे चलकर 'विश्व-भारती विश्वविद्यालय' के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इसी शांतिनिकेतन में उन्होंने मोहनदास करमचंद गांँधी को 'महात्मा' की उपाधि दी थी।
(3) सड़क शाप-मुक्ति की कामना क्यों कर रही है?
उत्तर: सड़क शाप-मुक्ति की कामना कर रही है ताकि वह करवट ले सके, अपनी कड़ी और सुखी सेज पर मुलायम हरी घास बिछा सके और अपने सिरहाने के पास नीले रंग का वनफूल खिलाकर उसका सुख पा सके।
(4) सुख की घर-गृहस्ती वाले व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क क्या समझ जाती है?
उत्तर: सड़क लोगों के चरणों के स्पर्श से ही उनके ह्रदय को पढ़ लेती है। सड़क को पता चल जाता है कि कौन सुखी घर से है और कौन दुखी घर से। सुखी की घर-गृहस्ती वाले व्यक्ति के पैर की आवाज सुनकर सड़क समझ जाती है कि वह सुख पूर्वक घर पहुंँचने को आतुर है। खुशियों से भरा उसका घर मानो उसे अपनी और प्यार और स्नेह से पुकार रहा है।
(5) गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनने पर सड़क को क्या बोध होता है?
उत्तर: गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुन सड़क जान लेती है कि वह निराश और हताश होकर बिना किसी लक्ष्य की ओर चले जा रहा है। उसके कदमों में न तो आशा होती है और न ही कोई अर्थ। सड़क को उसकी आहट से ऐसा प्रतीत होता है कि उसके कदमों से सड़क की सूखी हुई धूल मानो और सूख जाती है।
(6) सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-चीह्न को क्यों ज्यादा देर तक नहीं देख सकती?
उत्तर: सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-चीह्न को ज्यादा देर तक इसलिए नहीं देख सकती क्योंकि सड़क पर हर वक्त नए-नए पांँव आकर पुराने पांँव के चरणों को पोंछ जाती है। एक चरण चीह्न हजारों चरणों के तले लगातार कुचला जाकर कुछ ही देर में वह धूल में मिल जाता है।
(7) बच्चों के कोमल पाँवों के स्पर्श से सड़क में कौन-से मनोभाव बनते हैं?
उत्तर: जब बच्चों के कोमल पाँव सड़क पर स्पर्श करती हैं तब सड़क अपने आप को कठिन अनुभव करती है। क्योंकि सड़क को लगता है कि उनके कोमल पांँवों को कठोर सड़क पर चलने में चुभन महसूस होती होगी। इसीलिए सड़क की मनोभावना होती है कि काश बच्चों के पैर पड़ते ही कठोर सतह फूलों की तरह नरम और मुलायम हो जाए।
(8) किसलिए सड़क को न हंँसी है, न रोना?
उत्तर: रोजाना सड़क के ऊपर से लोग अपने लक्ष्य की ओर चला करते हैं। हर पल वे अपने पैरों के निशान छोड़ जाते हैं। चाहे वह जिसके भी पैरों के निशान क्यों न हो, सड़क अमीर और गरीब नहीं देखता। उसके एक सांँस लेने से धूल की तरह सब कुछ पल भर में उड़ जाता है। वह अपने ऊपर कुछ भी पड़ा रहने नहीं देती। इसीलिए सड़क को न हंँसी है, न रोना।
आलोक भाग २ प्रश्न-उत्तर,hindi alok class 10, class 10hindi text book, alok bhag 2,hindi textbook solution alok bhag 2 ,hindi alok bhag 2 SEBA, class 10 SEBA hindiquetion answer, seba board hindi alok bhag 2, seba board hindi alok 2, text book solution for seba hindi alok bhag 2,text book solution for class 10 hindi assam board, hindi alok assam board,Class 10 seba board hindi book | Hindi Textbook class 10 assam| Aalok Bhag 2 | आलोक भाग २ | Lesson 5 : सड़क की बात | पाठ का प्रश्न-उत्तर।Class 10 |
उत्तर: गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुन सड़क जान लेती है कि वह निराश और हताश होकर बिना किसी लक्ष्य की ओर चले जा रहा है। उसके कदमों में न तो आशा होती है और न ही कोई अर्थ। सड़क को उसकी आहट से ऐसा प्रतीत होता है कि उसके कदमों से सड़क की सूखी हुई धूल मानो और सूख जाती है।
(6) सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-चीह्न को क्यों ज्यादा देर तक नहीं देख सकती?
उत्तर: सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-चीह्न को ज्यादा देर तक इसलिए नहीं देख सकती क्योंकि सड़क पर हर वक्त नए-नए पांँव आकर पुराने पांँव के चरणों को पोंछ जाती है। एक चरण चीह्न हजारों चरणों के तले लगातार कुचला जाकर कुछ ही देर में वह धूल में मिल जाता है।
(7) बच्चों के कोमल पाँवों के स्पर्श से सड़क में कौन-से मनोभाव बनते हैं?
उत्तर: जब बच्चों के कोमल पाँव सड़क पर स्पर्श करती हैं तब सड़क अपने आप को कठिन अनुभव करती है। क्योंकि सड़क को लगता है कि उनके कोमल पांँवों को कठोर सड़क पर चलने में चुभन महसूस होती होगी। इसीलिए सड़क की मनोभावना होती है कि काश बच्चों के पैर पड़ते ही कठोर सतह फूलों की तरह नरम और मुलायम हो जाए।
(8) किसलिए सड़क को न हंँसी है, न रोना?
उत्तर: रोजाना सड़क के ऊपर से लोग अपने लक्ष्य की ओर चला करते हैं। हर पल वे अपने पैरों के निशान छोड़ जाते हैं। चाहे वह जिसके भी पैरों के निशान क्यों न हो, सड़क अमीर और गरीब नहीं देखता। उसके एक सांँस लेने से धूल की तरह सब कुछ पल भर में उड़ जाता है। वह अपने ऊपर कुछ भी पड़ा रहने नहीं देती। इसीलिए सड़क को न हंँसी है, न रोना।
आलोक भाग २ प्रश्न-उत्तर,hindi alok class 10, class 10hindi text book, alok bhag 2,hindi textbook solution alok bhag 2 ,hindi alok bhag 2 SEBA, class 10 SEBA hindiquetion answer, seba board hindi alok bhag 2, seba board hindi alok 2, text book solution for seba hindi alok bhag 2,text book solution for class 10 hindi assam board, hindi alok assam board,Class 10 seba board hindi book | Hindi Textbook class 10 assam| Aalok Bhag 2 | आलोक भाग २ | Lesson 5 : सड़क की बात | पाठ का प्रश्न-उत्तर।Class 10 |